स्टडी सर्कल ३

आज के स्टडी सर्कल में सरफराज़ , मनोज , अमित  एवं  आदिल ने  हिस्सा लिया।

आज इन मुख़्य विषयों पर चर्चा हुई जिसमे कुछ काम को लोगों में बाटा गाया :

१. अमित कल से सारे रिकशा(Rickshaw) वाले से मिलकर अपने और समर के बारे में बताएगा और वो जहाँ रहते है वहा जाकर लोगों से मिलना है और पकड़ बनाना है।

२. वर्किंग सेंटर जल्द से जल्द अस्थापित करना है।

३. मनोज एवं सरफराज़ का काम सलम में जाके लोगों से मिलना है और पकड़ बनाना है।

४. आदिल को खेल -कूद  की प्रतियोगिता करवाने की ज़िम्मेदारी दी गई जिससे ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों को जोड़ा जा सके।  

स्टडी सर्कल २

                                                                         स्टडी सर्कल २

जैसा की  पहले स्टडी सर्कल में तय हुआ था उसको आगे बढ़ाते हुए दूसरे स्टडी सर्कल का आयोजन हुआ जिसमे ये कार्य किया गया :

१. सलम में जाकर सलम के लोगो से मिलके पढ़ाई लिखाई एवं शिक्षा से सम्बंधित विष्यों पर लोगो के साथ चर्चा हुई।

२. इसी प्रकार हमलोगो को प्रतिदिन अलग अलग सलम में जाकर वहां के लोगो से मिलना और मिलके सारे लोगो के साथ अच्छा संपर्क बनाना है।

  और इस सिलसिले फिलहाल लगातार जारी रखना है। 

स्टडी सर्कल

                                                                             स्टडी सर्कल
                                                                       (STUDY CIRCLE)                                                    

दिनांक 17/06/2016 के 7:बजे शाम में स्टडी सर्कल का आयोजन किया गया जिसमें अमित , सरफ़राज़ एवं मनोज शामिल  हुए।

सबसे पहले सबने अपना इंट्रोडक्शन दिया और उसके बाद कुछ मुखिए बिंदू पर चर्चा हुई जैसे :-

१. पटना के सारे सलम (Slum ) जगहों को कवर करना जैसे  की पहले सलम में जाकर वहां के लोगों से मिलना     और अपने बारे में बताना। समर (Samar) क्या है और हम क्या करना चाहते है एवं इससे उनलोगों के बच्चों     को क्या फायदा होंगे।

२. वर्किंग स्टेशन (Working Station)  जहां पर समर (Samar) का  सारा  कार्य हो।

३. काम को किस प्रकार सबको दिया जाए एवं किसे कौन सा ज़िम्मेदारी दिया जाए।

                                          अंततः सारांश ये निकला की हमे एक फ्रेमवर्क(Framework) बनाना होगा एवं उस फ्रेमवर्क के तहत काम करना होगा जिससे की समर(Samar) ज़्यादा से ज़्यादा सलम में जाकर ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों को पढ़ा सके। 

April 2008

April  2008
Samar - a bimonthly and bilingual magazine