हमारे दिना भदरी - भाग ३

-ज़हीब (फ़िलहाल एक शोध जो की प्रवासी मजदूर की ज़िन्दगी को समझने की कोशिश है उसमे एक शोध सहायक का काम कर रहे है|)

तो अब तक हमने जाना की दिना भदरी इसलिए मशहूर हुए क्यूंकि गरीब इनको मसीहा के रूप में देखते थे और जमींदार के द्वारा उन्हें बचाते और उनके अत्याचारों के खिलाफ लड़ते थे| इनकी पूजा खास तौर से इस गाँव के ऋषिदेव करते है और बिताये हुए समय में मैंने किसी और को उनकी पूजा करते हुए नहीं देखा|

इतनी बात जानने के बाद अभी भी हमारे मन में बहुत सवाल है लेकिन एक बार में सबका जवाब मिल जायेगा वो मुमकिन नहीं| इसलिए आगे बढ़ने से पहले बता दूँ की जब ये लेख मैं पूरा करूँगा तोह आपको लगेगा अरे इसने तोह इन इन सवालो का जवाब नहीं दिया| मैं आपको बता दूँ की जब आपके मन में ये सवाल आयेंगे तो मैं बस आपसे ये कहूँगा की सवाल जो अधूरे होंगे उन्हें मैं पूरा ज़रूर करूँगा, क्यूंकि मई जल्द ही उस गाँव लौटने वाला है और बाकी के सवाल के उत्तर खोजने का पूर्ण प्रयास करूँगा| माफ़ी चाहूँगा अगर आपको निराशा हुई तो|



अगर अपने दुसरे भाग को पढ़ा है तोह उसमे एक साहब का वर्णन किया था मैंने जिन्होंने बोला था की दिना भदरी के सम्मलेन में आने को ताकि उनके बारे में मैं ज्यादा जान सकू, कुछ दिन बीतने के बाद मैं उनके पास गया और वचन को निभाते हुए वो मुझे ले गए एक और टोला में जिसमे ऋषिदेव भाइयो की संख्या आधिक थी या ये कहू की उस टोले में सिर्फ ऋषिदेव भाई थे तो गलत न होगा| शाम के बज रहे थे ६ और ये वक़्त तय हुआ की हम दिना भदरी के दर्शन के लिए जांयेंगे|

शाम ६ बजे जब हम दिना भदरी के दर्शन के रास्ते में थे, तो जब हम रास्ते में थे तो मेरे दोस्त ने बताना शुरू किया की दिना भदरी सम्मलेन में होता क्या है| जैसा उन्होंने बताया मैं भी आपको वैसे वैसे ही बता रहा हु| दिना भदरी का सम्मलेन तीन महिना चलता है और कलाकारों का एक समूह गाँव के हर टोले में घूम घूम कर सम्मलेन में नाटक, भजन और तरह के कहानी पाठ करता है| ये समूह गाने, नाटक के द्वारा लोगो को दिना भदरी के बारे में बताता है| इससे बच्चो, बुज़ुर्ग को दिना भदरी के बारे में पता चलता है| हमसे संबोधित होते हुए बोले आप भी आइयेगा सम्मलेन में तो अच्छा रहेगा, पूरा त्यौहार का मौसम रहता है| उसके बाद वो एक किस्सा बताने लगे जिसमे एक दिन वो दिना भदरी सम्मलेन से लौट रहे थे, दुसरे टोले से अपने घर की तरफ, तो जब वो अपने घर की तरफ बढे तो उनकी नज़र आसमान में गयी और वो काफी चकित हो गए जब ऊपर उन्होंने कुछ विशाल आकार के दो पहाड़ देखे, तो मुझे लगा भाई ये क्या है आसमान में तो बहुत गौर से देखा तो अरे ये तो दिना भदरी है, आपको पता है जैसे हनुमान भगवन राम के लिया पहाड़ उठा कर ले जाते थे उसी तरह ये भी जा रहे थे, तो देखए दिना भदरी टोला टोला घूमते है और अपने भक्तो को उनकी भक्ति का इनाम भी देते है|

ये बात ख़तम हुई तो हम उस घर के करीब पहुचे जो दिना भदरी के स्थान के पास है| धीरे धीरे मुझे समझ में आया की आखिर शाम का समय ही क्यूँ तय किया उन्होंने, खैर वो बात यहाँ बताना ज़रूरी नहीं| चलये तो जिनके घर गए वो आपने द्वार से टोर्च लेकर आय और एक फूस फूस से बना हुआ घर (फूस फूस को आम तौर पर टट्टी कहा जाता है) में हमे दिना और भदरी बाबा का दर्शन प्राप्त हुआ|


तीसरा बांस!


तो पहले तोह मैंने दिना और भदरी को ठीक से देखा, जिसे लोग दिना कहते है वो कद में भदरी से बड़े है और दिना अपना दाया हाथ ऐसे कर क खड़े जैसे वो अपने भक्त को कुछ दे रहे है| इसके पीछे हमारे दोस्त ने एक कारण बताया, अगर आप कुछ मांगेंगे तो वोह ज़रूर पूरा होगा, इसलिए ये हमेशा इसी मुद्रा में रहते है देने के स्तिथि में, भदरी बाया हाथ अपना इस स्तिथि उठाये हुए है, जो उनकी एक तस्वीर में आप देख सकते जो इस लेख में संलग्न है, ये क्या अवस्था ये मैं आप पर छोरता हु, क्यूंकि आप अब भदरी के बारे में उतना जानते है जितना मैं जनता हूँ|
मेरी नज़र बाए और जैसे ही गयी, मुझे ऐसा लगा ये माँ दुर्गा दिना भदरी के स्थल पर? थोरी देर सोचने के बाद मैंने अपने साथी से पूछा की ये कौन तो इन्होने बताया की ये दिना भदरी की माँ है, ‘निरसो’!| अच्छा तो यह निरसो है, जैसा की आप तस्वीर में देख सकते है, इनके चरण के नीचे एक शेर जैसा जानवर है जिसमे बदन में कुछ ऐसी चीज़ है जिससे उसका वध किया गया हो, लेकिन माँ निरसो के हाथ में लाठी नहीं है, उनका दाया हाथ तो आशीर्वाद के लिए उठा हुआ है| आगे बताते है वोह जो हमारे टोला में देखा था दिना भदरी का स्थल तीसरा बांस, यही तो है, माँ निरसो|
अब मैं आपको थोरा सा याद दिलाओं के पहले भाग में जब मेरे सीनियर ने मुझे बताया था की वो यहाँ आय थे केवल दो बांस थे और ये बात उसमे मैंने नहीं बताई थी की उन्होंने सम्मलेन भी देखा था| गौर करने की बात ये है की वो वर्ष २०१२ में आये थे और मैं २०१५ में गया| ये बदलाव सिर्फ दो साल पुराना है| अब बाकी कुछ रहा नहीं इस बारे में कहने के लिए|

दिना भदरी से सम्बंधित कुछ मतभेद

मैं कई टोला घुमा इस दौरान और कुछ कथाये दिना और भदरी के बारे में अलग अलग है हर टोला में| उनके प्रचलन से लेके उनकी पूजा तक सब में कुछ न कुछ अंतर है|

एक मित्र कहते है की दिना और भदरी १००-२०० साल पुराने है, जिसका वर्णन मैंने दुसरे भाग में किया था, एक मित्र जिन्होंने मुझे दर्शन कराया दिना भदरी का उनका कहना है की वो ५०-१०० साल पुराने है और कुछ लोग कहते है की वो २०-३० साल पुराने है| जिस तरह आपको आश्चर्य है मुझे भी है| खैर आदमी आपने हिसाब से तय करे की उसे क्या सही लगता है तो वो बेहतर होता है, मैं अपनी कोई राये यहाँ नहीं रखूँगा, मेरी नीजी राये मेरे साथ है|

दूसरा मतभेद ऋषिदेव साथियों में ये है की, एक मित्र कहते है की इनका विवाह तो हुआ था लेकिन ये भ्रम्चार्य का पालन करते थे और इनके चेहरे के समक्ष खड़ी नही हो सकती, उनकी पूजा सिर्फ पुरुष कर सकते है, दुसरे मित्र कहते है की नहीं ऐसा कुछ नहीं है, दिना भदरी की पूजा महिला – पुरुष सब कर सकते है| यहाँ तक की हर धर्म के लोग कर सकते है| अब आप पाठक लोग खुद अपनी समझ से चीजों को समझे, और आपनी राये से मुझे अवश्य अवगत कराये|

आप भी जानते है और मैं भी जनता हु की ये कथा यहाँ समाप्त नहीं की जा सकती, अभी भी बहुत कुछ जानना है, और दिना और भदरी के बारे और जानकारी इकठ्ठा कर के आप के समक्ष लाऊंगा, वादा रहा| ये अंत नहीं है|

(नोट: यह लेख बिना Dr. Indrajit Roy और Economic and Social Research Council (ESRC) के सहयोग के बिना मुमकिन न हो पता, इनके इस सहयोग का मैं बहुत आभारी हूँ|)

1 comment:

Unknown said...

Sir,sage kya

April 2008

April  2008
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